Wednesday, February 22, 2012

कश्मकश

यह प्रयास है उन ख्वाहिशों और हसरतों को समझने का या कह लीजिये समझाने का  - जो ताक़त तो आपकी ज़िन्दगी बदलने की रखते हैं - लेकिन दिल और दिमाग की 'कश्मकश' में अक्सर दम तोड़ देते हैं ।
और प्रयास है उस हौंसले को, उस विश्वास को थामे रहने का जिस से ऐसे कई और सैंकड़ो ख्वाब जन्म लेते हैं और कई और लाखों ज़िंदगियाँ बदल देते हैं।


दिल से दिमाग के दरमयां -
फिर किसी चौराहे पे -
कई ख्वाहिशों का क़त्ल हुआ;
सुना, कल रात तो,
कुछ ख्वाब भी मारे गए ।
कुछ जो महफूज़ रहे;
हैं वो इतने खौफज़दा,
दुबके रहे - सहमे हुए -
जब पुकारे गए।



"ऐ ख़्वाबों! उठो, करवट लो;
उड़ना ही फ़ितरत तुम्हारी,
आसमाँ झुका दे -
आज वो परवाज़ लो ।
बेताबियों का -
बेचैनियों का -
आजादियों का - अंदाज़ लो ।"
कोई तो ये समझाए इन्हें ।
सुस्त पड़े हैं कोनों में,
कोई तो फिर जगाये इन्हें ।

थोड़ा डर है मुझे
और भरोसा ज़्यादा ।


डर ये कि -
दिलो - दिमाग की रहगुज़र में
बाक़ी न खाक़ हो जाएँ ।
ख़्वाब मेरे ख़ुदकुशी न कर लें,
ख्वाहिशें न राख़ हो जाएँ ।

भरोसा ये कि -
फ़ितरत से ये बड़े ही ढीठ हैं ।
रावण से दस सर इनके,
चट्टानों सी पीठ है ।
इक ख़्वाब कटता है
तो दूसरा उठता है ।
उसी के खून से,
कुछ और ख़्वाबों का
बीज सिंचता है ।


बाक़ी देखते हैं 'वक़्त' -
तेरा पासा किसपे पलटता है ।
मेरे दरों पे या ख़्वाबों पे ।
मैने तो खेला है दाँव खुद पे -
क्यूंकि भरोसा है मुझे,
मेरी ख्वाहिशों पे, अरमानों पे ।

17 comments:

  1. lawzoon me kaha naa jaa sake
    in alfazoon se woh keh diya tumne

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  2. Aur hamain bhi poora bharosa hai, tumhari khabahishon per aur unki tabeeron per..aur usse kahi jyada us per jismain ye khabahish basti hain, savarti hain....aamin!...."udgam" se "kashmakash" ka safar hum tak yoo hi pahuchta rahe isi der sari duaon aur pyar ke saath....didi

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  3. Bahut Khub...

    Khwaishoh ko umeedon ke pankh lagane do,
    dil mein har "sahme khwab" ko sapna sajane do. Rukne na dena apni hasraton ko is "Kash-makash" ke darmiyan,
    har Armaano ko apne, naya sooraj ugane do.

    Bahut saari shubhkamnayon ke saath... Vibhu.

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  4. बाक़ी देखते हैं 'वक़्त' -
    तेरा पासा किसपे पलटता है ।
    मेरे दरों पे या ख़्वाबों पे ।
    मैने तो खेला है दाँव खुद पे -
    क्यूंकि भरोसा है मुझे,
    मेरी ख्वाहिशों पे, अरमानों पे ।
    sunder abhivyakti
    rachana

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  5. इक ख़्वाब कटता है
    तो दूसरा उठता है ।
    उसी के खून से,
    कुछ और ख़्वाबों का
    बीज सिंचता है ।

    गहन ...... सकारात्मक और विचारणीय बात....

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  6. बहुत सुन्दर..
    कुछ ख्वाब भी मारे गए ।
    कुछ जो महफूज़ रहे;
    हैं वो इतने खौफज़दा,
    दुबके रहे - सहमे हुए -
    जब पुकारे गए।

    बेहतरीन रचना....
    बधाई आपको...

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  7. thanks 4 following me Rishi
    hope to c u more often on Random ScriBBlings

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  8. PS: u hav a lovely blog, liked your writing style.

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  9. बहुत सुन्दर रचना...

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  10. बाक़ी देखते हैं 'वक़्त' -
    तेरा पासा किसपे पलटता है ।
    मेरे दरों पे या ख़्वाबों पे ।
    मैने तो खेला है दाँव खुद पे -
    क्यूंकि भरोसा है मुझे,
    मेरी ख्वाहिशों पे, अरमानों पे ।
    vaah....addbhut dil se taareef ki dhvani nikle ja rahi hai.bahut achcha sakaratmak ant diya hai rachna ko.

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  11. Chand khoobsurat alfazon ko ek dhage me piro kar,
    Har dil ki "KASHMAKASH" bayan kar di..
    Har khwahish ko ek bharosa ek ummeed mili hai..koi khwab ab sehma nahi hai..

    apne is prayas me beshak ap shafal hue hain.
    Keep writing more...

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  12. excellent.........
    wonderful writing.
    regards.
    anu

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  13. जीवन के नज़दीक रचना ....
    शुभकामनाएं !

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