रुई के बादलों से घरोंदा बुनेंगे चल,
चांदनी के बाग़ से रोशनी चुनेंगे चल.
में चुप हूँ,
तुम भी कुछ मत कहना;
काँधे पे सर रख देना,
में सर पे सर टिका लूँगा.
फिर ख़ामोशी में धड़कन का
संगीत सुनेंगे चल.
गर्मी की रातों में,उँगलियों से,
तारों से तारे जोड़ेंगे;
फलक पे अपनी लकीरें खीचेंगे;
फिर एक-दूजे के हाथों में
अपनी लकीरें ढूँढेंगे;
में तेरे हाथों में अपनी लकीर देखूंगा,
तू मेरी आँखों में अपनी तकदीर देखना.
तू साथ हो तो..
खुदा की भी तकदीर लिखेंगे चल.
रुई के बादलों से घरोंदा बुनेंगे चल,
चांदनी के बाग़ से रोशनी चुनेंगे चल.
Bahut khoob.....Roshni bhi chamkegi, badal bhi baras jayenge, tu karvan to jod, tadbeer se gharonde bhi bune jayenge....
ReplyDeleteLots of good wishes..
Meenal di